Sunday, March 4, 2007

धड़कता है दिल, साँस चलती है, लेकिन
हूँ ज़िंदा - यकीं ये दिला जाये कोई
दवा दर्दकी देनेवाले बहुत हैं,
ज़रा दर्दे दिल बनके आ जाये कोई..

6 comments:

कोहम said...

subhan allaa....bahot khoob..

वैभव जोशी said...

apratim

Anonymous said...

आपल्या काव्यपंक्ति वाचून मला खालील शेर आठवला.

हमारा दर्द ना बांटो, मगर गुजारिश है
हमारे दर्द को महसूस कर लिया जाएं
हनीफ सागर

प्रमोद देव.

HAREKRISHNAJI said...

इश्क से तबीअतने जीस्त की मजा पायी
दर्द की दवा पायी दर्दे बेदवा पाया

जयश्री said...

आए हाय........ मार डाला रे!

माणिक जोशी said...

.... !!
जियो यार... जियो !