स्वाती, तुम्हारी हिन्दी कविता कृति ने निदा फ़ाज़ली की लिखी कविता ' मै ख़ुदा बनके' की याद दिलायी है जो अपनी तीसरी और चौथी पंक्तियों में यह कहती है : रोज़ मै चाँद बन के आता हूँ दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ..
और हाँ, फूल की तस्वीर भी ब्लाग जितनी ही सुन्दर है । बँधाई
5 comments:
हम उन्हे भुल गये ऎसा भी नहि
और वो हमे याद आते भी नहि
पहले पहले तेरी याद आती तो थी
अब किसी याद की याद आती नही
Muddate gujari teri yaad bhi aai na hame |
Aur hum bhul haye ho tuze, aaisa bhi nahi ||
स्वाती,
तुम्हारी हिन्दी कविता कृति ने निदा फ़ाज़ली की लिखी कविता ' मै ख़ुदा बनके' की याद दिलायी है जो अपनी तीसरी और चौथी पंक्तियों में यह कहती है :
रोज़ मै चाँद बन के आता हूँ
दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ..
और हाँ, फूल की तस्वीर भी ब्लाग जितनी ही सुन्दर है । बँधाई
स्वाती.....क्या लिखती हो यार.....!
कितीवेळा व्हायचं फ़िदा....!
आप लिखते रहो.....हम फ़िदा होते रहेंगे :)
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